aaawarapan
Monday 2 October 2017
Monday 16 November 2015
Thursday 12 November 2015
Monday 26 October 2015
नज़्म अधूरी छूट गयी थी !!
अबके आई हो तो थोड़ा ठहर के जाना
के पिछले वक़्त की नज़्म अधूरी छूट गयी थी
वो जो कुछ सूखे पत्ते तुमने कर दिए थे गमले के किनारे
मैं आज भी उनको पानी देता हूँ
सुबह सुबह फिर कभी शाम को
रातें अक्सर सो जाया करती है जल्दी, बातें नही करती मुझसे
बाते सारी इकट्ठी सी हो गयी है अब
उसी गमले के किनारे
अब मुझे चुनना पड़ेंगे उसमे से फूल फूल
किसी ने सिखाया नही है तुमको अलविदा कहना
जब गयी थी तब
वो सूखे पत्ते भी बहुत नाराज़ हुए थे तुमसे
आज सारे बहुत खुश हुए है फिरसे
अब आज वही से पूरी कर रहा हूँ
के पिछले वक़्त की नज़्म अधूरी छूट गयी थी !!
Oct 26th, 2015
Friday 30 January 2015
ग से goggle
" ये goggle क्यूँ नहीं लगाते , खैर अच्छे लगते हो इनमें ,
वो उस दिन श्वेता भी यही कह रही थी." , " मेघना ने बीच में रुकते हुए कहा , जैसे सोच सोच कर कह रही हो।
कल तक का जो प्यार ज़िंदगी के खर्चों में लम्हा - लम्हा बँटता चला गया था , आज फिर नयी शुरुआत को तैयार खड़ा है।
" हाँ लगाया करूँगा " , मैंने रूककर कहा !
तुम शायद नज़रें मिलाने से डर रही हो , पर मैं तुम्हे क्या कहता। आज करीब-करीब साल भर बाद हम मिल रहे थे , और मुझे goggle , घड़ी , कपड़ो का उतना ध्यान नहीं था जितनी तुम्हारी फ़िक्र।
" ऑफिस अच्छा है " , मैंने बात बदलते हुए कहा.
" लोग भी अच्छे है " मेघना ने कहा जैसे इंतज़ार में हो इस बात के
" तुमसे जुड़ी हर चीज़ अच्छी है " , " यह ऑफिस , तुम्हारे दोस्त , तुम्हारी सोच , तुम्हारी मुस्कराहट , तुम्हारी नेल पॉलिश , तुम्हारी कार ...
" और हमारा प्यार " " आजकल बहुत तुम्हारा तुम्हारा कर रहे हो " , मेघना ने बच्चो की तरह डाँटते हुए कहा.
तुम्हारी यह बात मेरे हज़ारों सवालो का ज़वाब थी , और मेरे चुप रह जाने का कारण भी.
" क्या हुआ ? अब बोलोगे भी कुछ "
" हाँ हमारा , हमारा प्यार " , मैंने goggle लगाते हुए कहा.
" यह भी तुमसे जुड़ा हुआ है इसलिए अच्छा है "
तब तुम शायद शर्मा गयी थी , और मोबाइल को on-off करने लगी थी! खैर , तुम्हारी इक बात से तुमसे हारा हुआ दिल फिर हार गया। और इस हार की खुशी पहले ही जितनी थी।
मेरी सारी शिकायतें तुमसे जुडी थी , और तुमसे ही सारी उम्मीदे ... जो अब बस नाम की रह
गयी थी।
तुम्हारी हर एक बात सुकून भरी थी ...और उससे भी ज्यादा सुकून भरा हमारा प्यार...
January 30 .2015
वो उस दिन श्वेता भी यही कह रही थी." , " मेघना ने बीच में रुकते हुए कहा , जैसे सोच सोच कर कह रही हो।
कल तक का जो प्यार ज़िंदगी के खर्चों में लम्हा - लम्हा बँटता चला गया था , आज फिर नयी शुरुआत को तैयार खड़ा है।
" हाँ लगाया करूँगा " , मैंने रूककर कहा !
तुम शायद नज़रें मिलाने से डर रही हो , पर मैं तुम्हे क्या कहता। आज करीब-करीब साल भर बाद हम मिल रहे थे , और मुझे goggle , घड़ी , कपड़ो का उतना ध्यान नहीं था जितनी तुम्हारी फ़िक्र।
" ऑफिस अच्छा है " , मैंने बात बदलते हुए कहा.
" लोग भी अच्छे है " मेघना ने कहा जैसे इंतज़ार में हो इस बात के
" तुमसे जुड़ी हर चीज़ अच्छी है " , " यह ऑफिस , तुम्हारे दोस्त , तुम्हारी सोच , तुम्हारी मुस्कराहट , तुम्हारी नेल पॉलिश , तुम्हारी कार ...
" और हमारा प्यार " " आजकल बहुत तुम्हारा तुम्हारा कर रहे हो " , मेघना ने बच्चो की तरह डाँटते हुए कहा.
तुम्हारी यह बात मेरे हज़ारों सवालो का ज़वाब थी , और मेरे चुप रह जाने का कारण भी.
" क्या हुआ ? अब बोलोगे भी कुछ "
" हाँ हमारा , हमारा प्यार " , मैंने goggle लगाते हुए कहा.
" यह भी तुमसे जुड़ा हुआ है इसलिए अच्छा है "
तब तुम शायद शर्मा गयी थी , और मोबाइल को on-off करने लगी थी! खैर , तुम्हारी इक बात से तुमसे हारा हुआ दिल फिर हार गया। और इस हार की खुशी पहले ही जितनी थी।
मेरी सारी शिकायतें तुमसे जुडी थी , और तुमसे ही सारी उम्मीदे ... जो अब बस नाम की रह
गयी थी।
तुम्हारी हर एक बात सुकून भरी थी ...और उससे भी ज्यादा सुकून भरा हमारा प्यार...
January 30 .2015
Friday 25 April 2014
.. तुम कुछ भी सिखा सकती हो मुझे !
..याद है जब एक दिन अचानक से तुम मिली थी मुझे पोस्ट ऑफिस मे ,
और उसके पूछने पर "स्पीड पोस्ट करना है?"
तुम्हारा जवाब " नहीं! इसको स्पीड पोस्ट करना है " ,
फिर थोड़ी देर कि मुस्कराहट, एक हॅंसी , और ढेर सारे ख्याल तुम्हारे मेरे मन में !!
फिर साथ लौटने के टाइम तुमने कहा था थोड़ा बैठते है वही पार्क में , मैं घर पे कह दूंगी भीड़ थी वहाँ बहुत ! .. लेकिन हम बिना रुके चले जा रहे थे ..बातो मे खोये एक दूसरे कि ! सिर्फ तुम्हे है हुनर तुम नदी का हाथ पकड़े चल सकती हो , पानी को तुम उसकी नाम से नही ... उसके प्यार से जानती हो! रास्ते भर कि बाते, क़ुछ चेहरे, नीम्बू पानी या एक चाय बार - बार
.. याद है जब तुमने मुझे सिखाई थी रोटियां बेलना पिछली सर्दियों में , और ये भी कि जब चॉंद ना हो तो कैसे देखे जाते है बादलोँ के बीच तारे! ...और तुम्हे याद क्या यकीन है पूरा कि तुम कुछ भी सिखा सकती हो मुझे !
..अबकी बार ढेर सारी सर्दियाँ इकट्ठी कर रहा हूँ तुम्हारे लिये के देख सकूँ ...तुम्हे पास बेठे , शरमाते , करते हुये बाते ! और मिल जाना तुम ऐसे जैसे मिलते है प्रेमी बाढ़ के बाद , बदल जाता है सब , नहीं बदलता तो मेरा तुम्हारा प्यार ... और एक उम्मीद तुम्हारी जो कह दिया करती थी अक्सर "थोड़ा तेरा सा होगा थोड़ा मेरा भी होगा , अपना ये आशियाँ!" जैसे तुम कर रही हो वादा कल के लिये !
और हम मना रहे हो खुशियाँ मौसम कि पहली बारिश पर :') ..
Sunday 30 March 2014
एक मुलाकात ..
..याद हैँ तुम खामोश रहकर कितना कुछ कह
गयी थी उस दिन ..और मैँ तुम्हारी नज़र
चुराती मुस्कान के पीछे ...ढूँढ रहा था वही हल्के
से attitude वाली लड़की ..तुम, मैँ और एक कप
कॉफी ..तुम शायद बहुत खुश थी उस
दिन ...महीनोँ बाद मुझसे मिलने की खुशी मेँ
और फिर कहना तुम्हारा ..."किस तरह मम्मी से
बहाना करके आई हूँ, भाई का होमवर्क
नहीँ कराया, आज का दिन, और भोपाल
का मौसम" ..पर मैँ वो सुन रहा था जो तुम
कहना चाह
रही थी ..अपनी होठोँ की हल्की थरथराहट के
बीच ..और वो silver-white nailpolish
only on the outer edge of
nail ..उफ्फ!! .
..तुम्हारी शिकायतेँ मुझे मेरी तारीफ लग
रही थी उस वक्त .."कॉल नहीँ कर सकते थे,
ठंडी मेँ बाहर क्योँ निकले थे, और उस दिन
खाँसी क्यूँ हो गयी थी .."
अब खाँसी पूछ कर तो हुई ना थी ..पर तुम
नहीँ जानती वो खाँसी ना होती तो मैँ
शायद ..इतने जल्द ना मिल पाता वो हल्के से
attitude वाली लड़की के अंदर छिपे ..एक मासूम
चेहरे से
फिर इन्ही बातोँ के बीच ..तुम्हारा पैर मेरे पैर
पे दे मारना
..कई दिन होने को हैँ इस बार फिर ...आऊँगा कुछ
दिन बाद ..रेस लगाते हैँ पानीपुरी की ..फिर
वहीँ तुम्हारे शहर!
sept'13
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